इमान की रोशनी
रुख़सार एक साधारण-सी लड़की थी, लेकिन उसकी इमानदारी और उसका अल्लाह पर अटूट विश्वास उसे औरों से अलग बनाता था। वह एक छोटे से गाँव में रहती थी, जहाँ लोग अपनी पुरानी सोच और समाज के बंधनों में जकड़े हुए थे। उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, और पिता के देहांत के बाद, उसके कंधों पर परिवार का पूरा बोझ आ गया था।
रुख़सार को यह बात अच्छे से समझ में आ चुकी थी कि इस दुनिया में सब कुछ अस्थायी है, लेकिन अल्लाह पर भरोसा कभी टूटने नहीं देना चाहिए। हर सुबह वह नमाज़ पढ़ने के बाद अल्लाह से सिर्फ एक ही दुआ मांगती थी: "या अल्लाह, मुझे सही राह दिखाना और मेरी इमानी कश्ती को कभी डगमगाने न देना।"
गाँव में एक व्यापारी था जिसका नाम राशिद था। वह बहुत ही धनी था, लेकिन उसके दिल में लोगों के लिए दया और करुणा की जगह नहीं थी। उसकी नज़रें रुख़सार पर पड़ीं। उसकी सुंदरता और शालीनता से प्रभावित होकर, उसने उसे शादी का प्रस्ताव भेजा। लेकिन रुख़सार ने उसे ठुकरा दिया। राशिद को यह बात बर्दाश्त नहीं हुई। उसने सोचा, "कैसे एक गरीब लड़की मेरे जैसा धनी आदमी ठुकरा सकती है?"
"इंसान का असली धन उसकी इमानदारी और उसका विश्वास है, दौलत नहीं।"
राशिद ने रुख़सार को धमकी दी, "अगर तुमने मेरा प्रस्ताव नहीं स्वीकारा, तो मैं तुम्हारे परिवार को बरबाद कर दूंगा।" पर रुख़सार के चेहरे पर न तो डर था, न घबराहट। उसने शांति से जवाब दिया, "मुझे सिर्फ अल्लाह का डर है, किसी इंसान का नहीं। अगर मेरी नियत साफ है और मेरा ईमान मजबूत है, तो मुझे कोई बरबाद नहीं कर सकता।"
राशिद ने अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रुख़सार के परिवार पर अत्याचार शुरू कर दिए। उनके खेतों को नुकसान पहुँचाया गया, उनके व्यापार को बंद करवा दिया गया। हर तरफ से मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया। गाँव के लोग भी रुख़सार को समझाने लगे कि उसे इस शादी के लिए मान जाना चाहिए, लेकिन रुख़सार का विश्वास अडिग था। वह रोज़ पाँच वक्त की नमाज़ पढ़ती और अल्लाह से मदद की गुहार लगाती।
एक रात, जब राशिद ने रुख़सार के घर पर हमला करने की योजना बनाई, उस वक्त रुख़सार अकेली थी। उसने नमाज़ पढ़ी और अल्लाह से कहा, "या अल्लाह, अगर मेरी नियत सच्ची है, तो तू मुझे इस जुल्म से बचा। मुझे तेरे अलावा किसी की मदद की जरूरत नहीं।"
उसी रात राशिद के घर में आग लग गई। उसका सारा धन, उसकी सारी दौलत जलकर राख हो गई। वह बर्बाद हो गया और गाँव छोड़कर भाग गया। रुख़सार के परिवार पर से सारे अत्याचार खत्म हो गए। गाँव के लोगों ने इस चमत्कार को देखा और रुख़सार की ईमानदारी और उसके विश्वास की सराहना की। धीरे-धीरे, रुख़सार का परिवार फिर से उठ खड़ा हुआ। उनकी फसलें पहले से बेहतर हुईं, और व्यापार फिर से चमकने लगा।
"जब अल्लाह की रहमत होती है, तो असंभव भी संभव हो जाता है।"
रुख़सार की इमानदारी और अल्लाह पर अटूट विश्वास ने उसे हर मुश्किल से बचाया। उसने कभी अपने ईमान को गिरने नहीं दिया और अल्लाह पर भरोसा किया। उसकी इस कहानी से गाँव के सभी लोगों ने सीखा कि सच्चा ईमान और विश्वास किसी भी दुनिया की ताकत से ज्यादा शक्तिशाली होता है।
"इमान से बड़ी कोई दौलत नहीं।"
#PowerOfFaith #TrustInAllah #VictoryOfTruth #PatienceAndFaith #SpiritualStrength #FaithOverFear #InnerPeace #DivineProtection #UnshakableBelief #StrengthInAdversity
0 Comments:
Post a Comment