ग़ुलाम-ए-मुस्तफ़ा हूँ मैं, आशिक-ए-मुस्तफ़ा हूँ मैं।
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प्यार मुझे अली और फातिमा से है,
और हसन व् हुसैन से है मेरी ज़िन्दगी का रंग।
मोहब्बत का जलवा मेरे दिल में बहकने लगा है,
हुस्न-ए-ज़हर की मिठास मुझे खिलाने लगी है।
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अल्लाह का नूर है मेरा इमान,
मुस्तफ़ा की राह पे चलने में है मेरा जुनून।
इस इश्क में है मेरी ज़िन्दगी की सज़ा,
अली का दीवानी हूँ, हुसैन का में अज़ादार ।
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मेरे दिल की धड़कन में बसी है मुस्तफ़ा की मोहब्बत,
खुदा की राह में है मेरा सब कुछ जा-निशावर ।
ग़ुलाम-ए-मुस्तफ़ा हूँ मैं, आशिक-ए-मुस्तफ़ा हूँ मैं।
अपने इस्लामिक ग्रुप में जरूर से शेर करें, जज़कल्लाह खैर,
वस्सलाम - कुबरा फातिमा
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